डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ निर्णयों पर अमेरिका में कानूनी चुनौती
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित टैरिफ नीतियों को लेकर व्यापारिक समूहों और राज्यों ने कानूनी चुनौती दी है। उनका आरोप है कि ट्रंप ने अपने अधिकारों का अतिक्रमण करते हुए आयात शुल्क लगाए हैं, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था और वैश्विक व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
टैरिफ निर्णयों की पृष्ठभूमि
2025 में ट्रंप ने राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करते हुए कई देशों पर आयात शुल्क लगाए। उन्होंने 1977 के अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियाँ अधिनियम (IEEPA) का हवाला देते हुए यह कदम उठाया। इस अधिनियम के तहत राष्ट्रपति को कुछ आर्थिक प्रतिबंध लगाने का अधिकार है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि इसमें टैरिफ लगाने की स्पष्ट अनुमति नहीं है।
कानूनी चुनौतियाँ और प्रमुख तर्क
कम से कम सात मुकदमे ट्रंप के टैरिफ निर्णयों के खिलाफ दायर किए गए हैं। इनमें से एक मुकदमा पांच छोटे व्यवसायों द्वारा दायर किया गया है, जिसमें उन्होंने अदालत से ट्रंप के टैरिफ को अवैध घोषित करने की मांग की है। उनका तर्क है कि IEEPA में टैरिफ लगाने का कोई प्रावधान नहीं है, और ट्रंप ने अपने अधिकारों का अतिक्रमण किया है।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
ट्रंप के टैरिफ निर्णयों से वैश्विक बाजारों में अस्थिरता आई है। अमेरिकी व्यापारिक समूहों का कहना है कि इन टैरिफों से व्यापार में बाधा उत्पन्न हुई है और अमेरिकी उपभोक्ताओं को उच्च कीमतों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, चीन और अन्य देशों के साथ व्यापारिक तनाव भी बढ़ा है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
ट्रंप के टैरिफ निर्णयों को लेकर राजनीतिक हलकों में भी बहस छिड़ गई है। कुछ राज्यों ने स्वतंत्र रूप से मुकदमे दायर किए हैं, जबकि अन्य ने व्यापारिक समूहों के साथ मिलकर कानूनी कार्रवाई की है। कांग्रेस के कुछ सदस्य भी ट्रंप के निर्णयों की आलोचना कर रहे हैं और राष्ट्रपति के व्यापारिक अधिकारों को सीमित करने की मांग कर रहे हैं।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ निर्णयों को लेकर अमेरिका में कानूनी और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर चुनौती दी जा रही है। इन मुकदमों का परिणाम राष्ट्रपति के व्यापारिक अधिकारों की सीमाओं को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
स्रोत: The Economic Times