शनिवार को सुंदरकांड का पाठ: शनिदेव की कृपा और जीवन में सुख-शांति पाने का प्रभावशाली उपाय

भारतीय धार्मिक परंपराओं में ‘सुंदरकांड’ का विशेष महत्व है, जो रामचरितमानस का पांचवां अध्याय है। इसमें भगवान हनुमान की वीरता, भक्ति और बुद्धिमत्ता का वर्णन मिलता है। विशेष रूप से शनिवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करने से शनि दोषों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है।ABP Live

शनिवार को सुंदरकांड पाठ के लाभ

  1. शनि दोषों से मुक्ति: पौराणिक कथाओं के अनुसार, हनुमान जी ने शनि देव को रावण की कैद से मुक्त कराया था। इसलिए शनिदेव ने वचन दिया कि जो भक्त शनिवार को हनुमान जी की पूजा करेंगे, उन्हें वे कष्ट नहीं देंगे। इसलिए शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करने से शनि की बुरी दशा का प्रभाव कम होता है। ABP Live+1Patrika News+1

  2. नकारात्मक ऊर्जा का नाश: सुंदरकांड का पाठ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं। यह पाठ मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक है। Patrika News+2Navbharat Times+2Navbharat Times+2

  3. मनोकामनाओं की पूर्ति: मान्यता है कि सुंदरकांड का पाठ करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह पाठ जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है और सफलता की राह प्रशस्त करता है। Patrika News+1Webdunia+1Webdunia

  4. आध्यात्मिक उन्नति: सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह पाठ आत्मा को शुद्ध करता है और भगवान के प्रति भक्ति भाव को प्रगाढ़ करता है। Navbharat Times

सुंदरकांड पाठ की विधि

  • समय: शनिवार को प्रातः या संध्या के समय सुंदरकांड का पाठ करना शुभ माना जाता है।

  • स्थान: पाठ के लिए शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें।

  • संकल्प: पाठ प्रारंभ करने से पहले संकल्प लें और भगवान हनुमान का ध्यान करें।

  • पाठ: शुद्ध उच्चारण के साथ सुंदरकांड का पाठ करें।

  • आरती: पाठ के पश्चात हनुमान जी की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

निष्कर्ष

शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करने से न केवल शनि दोषों से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का भी आगमन होता है। यह पाठ मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से लाभकारी है। यदि आप जीवन में आने वाली बाधाओं से परेशान हैं, तो शनिवार को सुंदरकांड का पाठ अवश्य करें और हनुमान जी की कृपा प्राप्त करें।

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