🌍 वैश्विक स्थिति: 1.57 करोड़ ज़ीरो‑डोज़ बच्चे
द लांसेट‑प्रकाशित Global Burden of Disease 2023 Vaccine Coverage Collaborators अध्ययन में खुलासा हुआ कि वर्ष 2023 में दुनियाभर में लगभग 1.57 करोड़ बच्चे ऐसे थे जिन्हें डिप्थीरिया‑टेटनस‑पर्टसिस (DTP) का पहला भी डोज़ नहीं मिला abplive.com+4theprint.in+4indiamedtoday.com+4indiatoday.inen.wikipedia.org+1indiamedtoday.com+1। इसका अर्थ है कि वे एक भी सुरक्षा टीके से वंचित रह गए — एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती।
🇮🇳 भारत का हिस्सा: 14.4 लाख ज़ीरो‑डोज़ बच्चे
इस रिपोर्ट के अनुसार, इसमें से लगभग 14.4 लाख बच्चे सिर्फ भारत में ही शामिल हैं, जो दुनिया में दूसरे स्थान पर है (प्रथम: नाइजीरिया में 24.8 लाख) । यह दर्शाता है कि भारत — चाहे विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान संचालित करता हो — फिर भी बड़े पैमाने पर टीकाकरण की चपेट में नहीं आ पाया।
📉 प्रगति रोकना: विश्व स्वास्थ्य आपदा?
1980 से 2019 तक ज़ीरो‑डोज़ बच्चों की संख्या में 75% की गिरावट आई, लेकिन COVID‑19 के बाद यह गिरावट रुक गई । विशेषकर 2020‑21 में, टीकाकरण इन्फ्रास्ट्रक्चर और जागरूकता प्रभावित हुए, जिससे पिछड़े लक्षित क्षेत्र और जनजातीय, आर्थिक रूप से कमजोर आबादी और काम करती रह गई।
🧩 भारत में चुनौतियाँ: सात पहलुओं का विश्लेषण
-
ग्रामीण स्वास्थ्य तंत्र कमजोर: स्वास्थ्यकेंद्रों की पहुँच दूरदराज इलाकों में सीमित है।
-
विश्वास व भ्रांतियाँ: मिथक, धार्मिक अटकलें, और दुष्प्रचार लोगों को टीकाकरण से रोकते हैं ।
- COVID‑19 प्राथमिकता: इस दौरान संसाधन कोविड टीकाकरण में फंसे, जिससे बाल टीकाकरण प्रभावित हुआ
।
- शिक्षा की कमी: माता‑पिता में जागरूकता की कमी भी वंचनाओं को बढ़ाती है।
- जन‑संख्या आधार: भारत की विशाल जनसंख्या ने प्रतिशत में थोड़़ा सुधार दिखाया पर वास्तविक संख्या बहुत अधिक है।
- उप-राष्ट्रीय असमानताएँ: कुछ राज्यों और क्षेत्रों में स्लिपेज अधिक दिखाई देता है, और यह लक्ष्य पूरा करने में बाधक है।
- सूचना की कमी: लो-इन्फॉर्मेशन कैंपेन निचले स्तर तक नहीं पहुंच पाते।
🇮🇳 भारत का जवाब: Mission Indradhanush
भारत ने इससे पहले Mission Indradhanush, Intensified Mission Indradhanush (IMI), और IMI 2.0 जैसे विशेषज्ञ अभियान शुरू किए en.wikipedia.org+1indiamedtoday.com+1। इनका उद्देश्य 90% कवरेज हासिल करना और “हाई‑फोकस” जिलों, विशेषकर गरीब व ग्रामीण इलाकों में पहुंचना था।
इन पहलों ने टीकाकरण कवरेज में सुधार जरूर लाया, लेकिन नए “ज़ीरो‑डोज़” मामलों को रोकने के लिए सतत प्रयासों की ज़रूरत है।
🎯 क्या करना होगा: राष्ट्रीय रोडमैप
-
स्वास्थ्य तंत्र का सुदृढ़ीकरण: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक संसाधनों की पहुँच सुनिश्चित करें।
-
जानकारी एवं जागरूकता अभियान: शिक्षा कार्यक्रम और मेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण दें।
-
माता‑पिता प्रोत्साहन: सोशल-ट्रस्टेड हस्तियों से अपने समुदायों में जागरूकता फैलाएँ।
-
COVID‑19 के दुष्प्रभाव हटाएं: नियमित टीकाकरण शेड्यूल को बहाल करें।
-
धार्मिक एवं समुदाय आधारित हस्तक्षेप: विशेष अभियान उन समूहों तक बढ़ाएँ जहां वैक्सीन‑संदेह मौजूद हैं en.wikipedia.org+1indiatoday.in+1abplive.com।
-
WHO‑UNICEF “Big Catch-Up” का समर्थन: वैश्विक अभियान का सक्रिय समर्थन करें indiatoday.in।
✅ निष्कर्ष: समय के साथ कार्रवाई की ज़रूरत
दक्षिण एशिया और सब-सहारन अफ्रीका में मौजूद बच्चों का बुरा हाल बताता है कि ज़ीरो‑डोज़ बच्चों को लक्षित करना परंपरागत कवरेज के परे एक चुनौती है । भारत के लिए यह स्पष्ट संकेत है कि अगर हम 2030 की Immunisation Agenda (IA2030) में तय लक्ष्य — ज़ीरो‑डोज़ मामलों को आधा करना और 90% कवरेज — को हासिल करना चाहते हैं, तो हमें स्थानीय, सामुदायिक‑आधारित, और तकनीकी रूप से सशक्त अभियान चलाने होंगे।