भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच आकाश मिसाइल की ‘अग्नि परीक्षा’ में सफलता
हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के दौरान, भारत की स्वदेशी आकाश मिसाइल प्रणाली ने अपनी प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया। इस प्रणाली ने वास्तविक युद्ध स्थितियों में दुश्मन के ड्रोन और मिसाइल हमलों को सफलतापूर्वक रोका, जिससे भारत की रक्षा क्षमता में आत्मनिर्भरता को बल मिला।
आकाश मिसाइल प्रणाली: एक स्वदेशी सफलता
आकाश मिसाइल प्रणाली रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की गई है। इस परियोजना की शुरुआत 1994 में ₹300 करोड़ के बजट के साथ हुई थी। 15 वर्षों के कठिन परिश्रम और हजारों वैज्ञानिकों के योगदान से यह प्रणाली विकसित हुई। प्रहलाद रामाराव, जो इस परियोजना के प्रमुख थे, ने इसे “मेरे जीवन का सबसे सुखद दिन” बताया।
ऑपरेशन सिंदूर में आकाश की भूमिका
मई 2025 में, ऑपरेशन सिंदूर के तहत, भारत ने पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों का सामना किया। इस दौरान, आकाश प्रणाली ने पश्चिमी सीमा पर कई हमलों को सफलतापूर्वक रोका। यह प्रणाली राजेंद्र रडार के साथ मिलकर काम करती है, जो एक साथ कई लक्ष्यों को ट्रैक और नष्ट करने में सक्षम है।
अंतरराष्ट्रीय मान्यता और निर्यात
आकाश मिसाइल प्रणाली की सफलता ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है। अर्मेनिया ने इसे खरीदने का निर्णय लिया है, जिससे भारत की रक्षा निर्यात क्षमता में वृद्धि हुई है।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम
आकाश मिसाइल प्रणाली की सफलता भारत के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रणाली न केवल तकनीकी दृष्टि से उन्नत है, बल्कि इसकी सफलता ने भारत की रक्षा क्षमता में भी वृद्धि की है।
निष्कर्ष: भारत की स्वदेशी आकाश मिसाइल प्रणाली ने युद्ध स्थितियों में अपनी प्रभावशीलता सिद्ध की है। इससे न केवल भारत की रक्षा क्षमता में वृद्धि हुई है, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।