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भारत और विश्व में फैटी लिवर का बढ़ता खतरा: आँकड़े, विशेषज्ञ राय और समाधान

दुनियाभर में फैटी लिवर यानी लिवर में अत्यधिक वसा जमने की समस्या तेजी से बढ़ रही है। ग्लोबल अध्ययनों के अनुसार वयस्कों में NAFLD (नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज) का प्रचलन लगभग 32% हैpmc.ncbi.nlm.nih.gov, जो 2005 से अब तक 26% से बढ़कर 38% हो गया हैpmc.ncbi.nlm.nih.gov। यह मोटापे और डायबिटीज की महामारी के साथ बढ़ रहा हैpmc.ncbi.nlm.nih.gov। भारत में भी स्थिति गंभीर है – सरकारी आंकड़ों के अनुसार 10 में से 1-3 लोग फैटी लिवर से ग्रस्त हैंpib.gov.in. AIIMS के एक अध्ययन में पाया गया कि लगभग 38% भारतीयों में NAFLD हैfinancialexpress.com, जबकि विश्व स्तर पर करीब 25-30% लोग इससे प्रभावित हैंindiatoday.infinancialexpress.com। पुरानी रिपोर्टों में भारत में NAFLD प्रचलन 9% से 32% के बीच बताया गया हैpib.gov.inpmc.ncbi.nlm.nih.gov। उभारते हुए डायबिटीज, मोटापे और अस्वस्थ जीवनशैली के कारण यह समस्या ‘साइलेंट एपिडेमिक’ के रूप में उभर रही हैindiatoday.inpib.gov.in

भारत में फैटी लिवर के कारण

भारत में फैटी लिवर के प्रमुख कारणों में अत्यधिक मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज और तेल-मसाले युक्त पश्चिमी भोजन प्रमुख हैंfinancialexpress.comredcliffelabs.com। असंतुलित आहार, जंक फूड और शारीरिक गतिविधि की कमी इसे बढ़ावा देती हैंfinancialexpress.comredcliffelabs.com। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार NAFLD विशेष रूप से मोटापा, मधुमेह और हृदय रोग जैसी मेटाबोलिक बीमारियों से जुड़ा हैpib.gov.inredcliffelabs.com. अनुभवी डॉक्टर डॉ. राजनिश मोंगा के अनुसार भारत में फैटी लिवर एक जन-स्वास्थ्य समस्या बन गई है; उन्होंने बताया कि घरेलू अध्ययन में 38% भारतीयों में NAFLD मिला है और शहरी जीवनशैली (जैसे ज्\u200dयादा तेल वाला खान-पान, कम हरियाली) इसका बड़ा कारण हैfinancialexpress.comfinancialexpress.com

विशेषज्ञों की राय

गैस्ट्रोएन्टरोलॉजिस्ट और लिवर विशेषज्ञ फैटी लिवर के बारे में चेतावनी दे रहे हैं। पारस हेल्थ, गुरुग्राम के चेयरमैन डॉ. मोंगा ने बताया कि फैटी लिवर और उससे आगे बढ़ने वाला NASH यकृत कैंसर का सबसे तेज़ बढ़ता कारण बन चुका हैpmc.ncbi.nlm.nih.govfinancialexpress.com। उन्होंने कहा कि गुड़गाँव के अस्पताल में लगभग 35% रोगी और 100% मधुमेही मरीजों में फैटी लिवर मिलता हैfinancialexpress.com। इं्स्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बायली एड साइंसेज (ILBS) निदेशक डॉ. एस.के. सरीन के अनुसार मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसे गैर-संक्रामक रोग सीधे लीवर स्वास्थ्य से जुड़े हैंpib.gov.infinancialexpress.com। स्वास्थ्य मंत्री के नेतृत्व में हुए वर्ल्ड लिवर डे कार्यक्रम में बताया गया कि फैटी लिवर सिर्फ लिवर को ही नहीं प्रभावित करता, बल्कि हृदय रोग, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और कैंसर का जोखिम भी बढ़ा देता हैpib.gov.in। विशेषज्ञ इस नतीजे पर हैं कि स्वस्थ खान-पान, नियमित व्यायाम और वजन नियंत्रण से इस बीमारी को काफी हद तक रोका या उलटा जा सकता हैpib.gov.inredcliffelabs.com

NAFLD के प्रभाव

नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) चुपचाप बढ़ती है और लिवर की कोशिकाओं में वसा जमा कर देता है। शुरुआती अवस्था में लक्षण दिखते नहीं हैं लेकिन समय के साथ लिवर में सूजन और जिगर फेफड़ों तक की क्षति हो सकती है। यदि इलाज नहीं किया गया तो NAFLD नॉन-एल्कोहलिक स्टीटोहेपाटाइटिस (NASH) में बदल सकता है, जो आगे चलकर लीवर सिरोसिस और लिवर कैंसर का कारण बनता हैpmc.ncbi.nlm.nih.gov। विश्व स्वास्थ्य रिपोर्ट के अनुसार NASH अब दुनिया भर में लिवर कैंसर का सबसे तेज़ बढ़ता कारण हैpmc.ncbi.nlm.nih.gov। इसलिए समय रहते रोग का पता लगाना और लिवर की देखभाल करना अनिवार्य है।

सरकार की पहल

सरकार ने फैटी लिवर को गंभीरता से लेते हुए कई कदम उठाए हैं। भारत 2021 में सबसे पहले देश था जिसने NAFLD को राष्ट्रीय गैर-संचारी रोग कार्यक्रम (NPCDCS) में शामिल कियाpib.gov.in। सितंबर 2024 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने फैटी लिवर के लिए संशोधित ऑपरेशनल गाइडलाइंस और प्रशिक्षण मॉड्यूल जारी किए, जिनका उद्देश्य लिवर रोगों की रोकथाम, निदान और प्रबंधन को बेहतर बनाना हैpib.gov.inpib.gov.in। राज्य स्तर पर भी जागरूकता बढ़ाई जा रही है – उदाहरणतः झारखंड के राँची में अप्रैल 2025 में NAFLD स्क्रीनिंग अभियान शुरू किया गया, जिसमें कहा गया कि करीब चार में से एक भारतीय इस समस्या से प्रभावित हैtimesofindia.indiatimes.com. केंद्र सरकार ने फरवरी-मार्च 2025 में 30 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों की NCD स्क्रीनिंग मुहिम चलाई, जिसमें फैटी लिवर जैसी बीमारियों की जांच भी शामिल थीnewindianexpress.com। इन पहलों में पोर्टेबल स्कैन मशीनों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण और जन-चेतना कार्यक्रमों के माध्यम से लिवर स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

लक्षण, जांच, उपचार एवं बचाव

अक्सर फैटी लिवर प्रारंभिक चरण में बिना किसी स्पष्ट लक्षण के पाया जाता है। बाद में इन लक्षणों पर ध्यान देंredcliffelabs.com:

  • थकान और कमजोरी एवं भूख में कमीredcliffelabs.com

  • पेट में दर्द या सूजनredcliffelabs.com

  • पीलेपन (पीलापन) — त्वचा और आंखों का पीला पड़ जानाredcliffelabs.com

  • पैरों में सूजन, वजन घटना और त्वचा पर चकत्तेredcliffelabs.com

समय रहते निदान के लिए डॉक्टर से सलाह लें। फैटी लिवर की पुष्टि के लिए ब्लड टेस्ट, अल्ट्रासाउंड/CT/MRI इमेजिंग और कभी-कभी लीवर बायोप्सी किया जाता हैredcliffelabs.com। प्रारंभिक निदान से लिवर क्षति रोकी जा सकती है।

उपचार और बचाव: मुख्य उपचार जीवनशैली में सुधार है। फैटी लिवर के लिए सलाह दी जाती है:

  • स्वस्थ आहार: कम वसा, कम चीनी और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन। हरी सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन युक्त भोजन शामिल करेंredcliffelabs.comganeshdiagnostic.com

  • नियमित व्यायाम: प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट मध्यम व्यायाम या तेज चाल से चलना वांछनीय हैganeshdiagnostic.com

  • वजन नियंत्रण: धीरे-धीरे वजन कम करने से लिवर में जमा वसा कम होती हैredcliffelabs.com

  • शराब से परहेज: यदि NAFLD है तो शराब और अत्यधिक तेल-मसाले वाले भोजन से बचना चाहिएredcliffelabs.comganeshdiagnostic.com

  • अन्य: मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रखें। नियमित जांच कराते रहें और डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाइयां लेंredcliffelabs.com

इन उपायों से फैटी लिवर की संभावना कम होती है और लीवर स्वस्थ रहता है। जागरूकता बढ़ाने और समय पर इलाज से लिवर संबंधी गंभीर समस्याएं टाली जा सकती हैं।

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