🏛️ सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला और NCLT में संजय सिंघल की याचिका
भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (BPSL) के पूर्व प्रमोटर संजय सिंघल ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT), दिल्ली में एक याचिका दायर की है। इस याचिका में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस हालिया फैसले को लागू करने की मांग की है, जिसमें JSW स्टील द्वारा BPSL के अधिग्रहण को रद्द कर दिया गया था और परिसमापन प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया गया था। The Economic Times+1ETLegalWorld.com+1
सुप्रीम कोर्ट ने 2 मई 2025 को दिए गए अपने फैसले में JSW स्टील के ₹19,700 करोड़ के समाधान योजना को अवैध घोषित किया था। कोर्ट ने पाया कि यह योजना इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) की धारा 30(2) और 31(2) के प्रावधानों के अनुरूप नहीं थी। इसके परिणामस्वरूप, कोर्ट ने IBC की धारा 33 के तहत BPSL की परिसमापन प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया।The Economic Times
⚖️ IBC के तहत कानूनी प्रक्रिया और इसके प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने भारत के दिवालियापन और समाधान ढांचे में कानूनी अनुपालन की प्राथमिकता को रेखांकित किया है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि व्यावसायिक सुविधा के लिए कानूनी प्रक्रियाओं की अनदेखी नहीं की जा सकती। इस फैसले ने न केवल JSW स्टील के लिए बल्कि उन सभी निवेशकों और बैंकों के लिए भी चिंता पैदा की है, जिन्होंने इस अधिग्रहण के तहत भुगतान प्राप्त किया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय से भारत के दिवालियापन कानून की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग सकता है और भविष्य में निवेशकों की रुचि प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा, यह मामला अन्य पूर्ववर्ती अधिग्रहणों और समाधान योजनाओं की वैधता पर भी प्रभाव डाल सकता है।
📉 JSW स्टील और बैंकिंग क्षेत्र पर संभावित प्रभाव
JSW स्टील, जिसने BPSL का अधिग्रहण 2019 में किया था, अब इस फैसले के बाद वित्तीय और परिचालन चुनौतियों का सामना कर सकती है। इस अधिग्रहण के रद्द होने से कंपनी की उत्पादन क्षमता और राजस्व पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को भी इस फैसले के कारण अपने ऋण वसूली योजनाओं की पुनः समीक्षा करनी पड़ सकती है।The Economic Times+5The Economic Times+5ETLegalWorld.com+5
🔚 निष्कर्ष
भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड के मामले में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारत के दिवालियापन कानून के अनुपालन की आवश्यकता को रेखांकित करता है। संजय सिंघल द्वारा NCLT में दायर याचिका इस फैसले को लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मामला भविष्य में कॉर्पोरेट अधिग्रहण और समाधान योजनाओं के लिए एक मिसाल के रूप में देखा जाएगा।