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कॉस्टाओ मूवी रिव्यू: नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी की दमदार अदाकारी, लेकिन कहानी में कमी

 

🎬 फिल्म का सारांश

‘कॉस्टाओ’ 1990 के दशक के गोवा में तैनात कस्टम अधिकारी कॉस्टाओ फर्नांडीस की सच्ची कहानी पर आधारित है, जिन्होंने 1500 किलोग्राम सोने की तस्करी को रोकने के लिए अपने करियर और परिवार को दांव पर लगा दिया। फिल्म में नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने मुख्य भूमिका निभाई है, जबकि निर्देशन सेजल शाह ने किया है। यह फिल्म Zee5 पर उपलब्ध है।


🌟 अभिनय और निर्देशन

नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने कॉस्टाओ फर्नांडीस के किरदार में गहराई और संवेदनशीलता लाकर जान फूंक दी है। उनकी अदाकारी फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है। हालांकि, निर्देशक सेजल शाह ने कहानी को कॉस्टाओ की बेटी के दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है, जिससे फिल्म की गंभीरता कम हो जाती है। लिनियर नैरेटिव और सपाट पटकथा के कारण फिल्म में थ्रिल और इमोशनल कनेक्ट की कमी महसूस होती है।


🎭 सहायक कलाकार और किरदार

किशोर कुमार जी द्वारा निभाया गया खलनायक डी’मेलो का किरदार एक-आयामी और सतही प्रतीत होता है। अन्य सहायक कलाकारों के किरदार भी गहराई से विकसित नहीं किए गए हैं, जिससे कहानी में तनाव और जटिलता की कमी महसूस होती है।


🎞️ तकनीकी पक्ष

फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और बैकग्राउंड स्कोर औसत हैं। हालांकि, कुछ दृश्य जैसे कि जंगल में छिपे कॉस्टाओ का आत्ममंथन, प्रभावशाली हैं, लेकिन ऐसे क्षण फिल्म में कम हैं।


✅ निष्कर्ष

‘कॉस्टाओ’ एक सच्ची और प्रेरणादायक कहानी है, जिसे नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी की शानदार अदाकारी से बल मिलता है। हालांकि, कमजोर पटकथा, सपाट निर्देशन और अधपके किरदारों के कारण फिल्म अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच पाती। जो दर्शक नवाज़ुद्दीन की अदाकारी के प्रशंसक हैं, उनके लिए यह फिल्म एक बार देखने योग्य है।

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