📡 सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए नए नियमों की तैयारी

भारत सरकार का दूरसंचार विभाग (DoT) सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए नए नियमों को अंतिम रूप देने के करीब है। इन नियमों का मसौदा जल्द ही हितधारकों की टिप्पणियों के लिए जारी किया जाएगा। नए नियमों के तहत स्पेक्ट्रम का आवंटन “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर किया जाएगा, जो दूरसंचार अधिनियम के तहत प्रशासकीय रूप से होगा। The Economic Times


💰 मूल्य निर्धारण और लाइसेंसिंग की प्रक्रिया

टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के मूल्य निर्धारण के लिए सिफारिशें दी हैं। इन सिफारिशों के अनुसार, सैटकॉम कंपनियों को उनके समायोजित सकल राजस्व (AGR) का 4% शुल्क देना होगा, और स्पेक्ट्रम का आवंटन पांच वर्षों के लिए किया जाएगा। हालांकि, इन सिफारिशों को अंतिम मंजूरी के लिए कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। The Economic Times


🚀 प्रमुख कंपनियों की भागीदारी

Eutelsat OneWeb और Jio-SES जैसी कंपनियां, जिन्होंने सभी आवश्यक सुरक्षा मंजूरियां प्राप्त कर ली हैं, पिछले कुछ वर्षों से स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रतीक्षा कर रही हैं। Elon Musk की Starlink को भी इस महीने एक सैटकॉम परमिट के लिए आशय पत्र (LoI) प्राप्त हुआ है, और कंपनी को जल्द ही परीक्षण स्पेक्ट्रम प्रदान किया जाएगा। The Economic Times+1The Economic Times+1


🛰️ भारत में सैटेलाइट इंटरनेट का भविष्य

इन नए नियमों के लागू होने से भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं के लिए मार्ग प्रशस्त होगा, जिससे दूरदराज के क्षेत्रों में भी उच्च गति की इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी। यह कदम डिजिटल इंडिया पहल को मजबूत करेगा और देश की डिजिटल कनेक्टिविटी को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।


📌 निष्कर्ष

दूरसंचार विभाग द्वारा सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए नए नियमों की घोषणा भारत में डिजिटल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह न केवल तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देगा, बल्कि देश के दूरदराज के क्षेत्रों में भी इंटरनेट सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करेगा।

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