ईरान भारत से सीखेगा चीता बचाने का मंत्र: एशियाई प्रजाति को संकट से बचाने की कोशिशें तेज
📌 पृष्ठभूमि: भारत में प्रोजेक्ट चीता की शुरुआत
भारत में ‘प्रोजेक्ट चीता’ की शुरुआत 2022 में हुई थी, जिसके तहत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 अफ्रीकी चीते लाकर मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में बसाए गए। भारत में चीते 1952 में विलुप्त घोषित हो गए थे और यह परियोजना इस प्रजाति को दोबारा स्थापित करने की दिशा में वैश्विक स्तर पर पहली पहल है।
📈 उपलब्धियां:
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2022 से अब तक 3 बैच में कुल 36 चीते भारत लाए गए।
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GPS कॉलर और रीयल-टाइम निगरानी से ट्रैकिंग।
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भारतीय वन विभाग, NTCA और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का संयुक्त प्रयास।
🌍 ईरान का संकट: एशियाई चीता विलुप्ति की कगार पर
ईरान एशियाई चीता का आखिरी प्राकृतिक आवास है। मगर यहां इनकी संख्या केवल 9 (5 नर, 4 मादा) रह गई है, जिससे यह प्रजाति गंभीर खतरे में है।
❗ प्रमुख समस्याएं:
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शिकार और आवास का क्षरण
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प्रजनन में गिरावट
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सीमित अंतरराष्ट्रीय सहयोग
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संसाधनों की कमी
🤝 भारत-ईरान वन्यजीव सहयोग की पहल
ईरान ने हाल ही में एक RTI (सूचना का अधिकार) उत्तर के ज़रिए भारत सरकार को औपचारिक रूप से बताया कि वे भारत की चीता पुनर्स्थापन नीति और प्रोजेक्ट चीता की तकनीकी रणनीतियों को समझना चाहते हैं। उन्होंने विशेष रूप से निम्न जानकारियों में रुचि दिखाई:
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ट्रांसलोकेशन प्रक्रिया
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रेडियो कॉलर आधारित निगरानी प्रणाली
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प्रजनन नीति और मृत्यु दर प्रबंधन
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वन रेंजर प्रशिक्षण और संवेदनशीलता कार्यक्रम
🗨️ वन मंत्रालय अधिकारी का कथन:
“यह हमारे लिए गौरव की बात है कि ईरान जैसे देश ने हमारी परियोजना को मॉडल के रूप में देखा है। इससे भारत की वैश्विक साख बढ़ेगी।”
🌱 संभावित प्रभाव
पक्ष | प्रभाव |
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🌿 भारत | अंतरराष्ट्रीय संरक्षण में नेतृत्व, सॉफ्ट पॉवर में वृद्धि |
🐆 ईरान | एशियाई चीता की रक्षा की नई उम्मीद, विज्ञान आधारित संरक्षण |
🌏 विश्व | विलुप्तप्राय प्रजातियों के लिए सहयोग का नया मॉडल |
🔍 निष्कर्ष
भारत की प्रोजेक्ट चीता न सिर्फ वन्यजीव संरक्षण का अनूठा उदाहरण है, बल्कि यह अब दूसरे देशों के लिए सीखने का एक मॉडल बन चुका है। ईरान का यह कदम अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव संरक्षण सहयोग की ओर एक महत्वपूर्ण संकेत है। यदि यह सहयोग सफल रहा, तो एशियाई चीता को extinction से बचाया जा सकता है — और यह एक वैश्विक संरक्षण जीत होगी।