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Toggleकंगना रनौत ने शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी पर उठाई आवाज: “उसे और परेशान करने की आवश्यकता नहीं”
भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है, इस बार केंद्र में हैं पुणे की एक इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली और बॉलीवुड अभिनेत्री एवं सांसद कंगना रनौत। एक वायरल वीडियो में की गई टिप्पणियों के कारण गिरफ्तार की गई शर्मिष्ठा के समर्थन में कंगना रनौत खुलकर सामने आई हैं।
कौन हैं शर्मिष्ठा पनोली और क्या है विवाद?
शर्मिष्ठा पनोली एक युवा इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर हैं, जो पुणे में कानून की पढ़ाई कर रही हैं। हाल ही में उन्होंने एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें उन्होंने बॉलीवुड अभिनेत्रियों द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे गंभीर मुद्दों पर चुप्पी साधने की आलोचना की।
इस वीडियो में उन्होंने कुछ कठोर और आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया, जिसे कई यूज़र्स ने असंवेदनशील और अपमानजनक बताया। हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद शर्मिष्ठा ने वह वीडियो हटा दिया और सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी।
लेकिन इसके बावजूद, कोलकाता पुलिस ने उनके खिलाफ FIR दर्ज कर गुरुग्राम से गिरफ्तार कर उन्हें कोलकाता ट्रांजिट रिमांड पर ले लिया।
कंगना रनौत का बयान: “माफी काफी है”
कंगना रनौत, जो स्वयं भी विवादित बयानों और सोशल मीडिया पर बेबाकी के लिए जानी जाती हैं, ने शर्मिष्ठा के पक्ष में इंस्टाग्राम स्टोरी पर एक बयान जारी किया। उन्होंने लिखा:
“शर्मिष्ठा ने कुछ अप्रिय भाषा का प्रयोग किया, जो युवा अक्सर अनजाने में कर बैठते हैं। उन्होंने इसके लिए माफी भी मांगी है। माफ़ी मांगने के बाद उसे और डराना या परेशान करना अनावश्यक है। उसे तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।”
कंगना ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मामला बताया और पुलिस की कार्रवाई पर अप्रत्यक्ष रूप से सवाल उठाया।
सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में प्रतिक्रिया
इस गिरफ्तारी को लेकर सोशल मीडिया पर दो धड़े बन गए हैं:
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एक पक्ष का कहना है कि माफी के बाद गिरफ्तारी करना अनावश्यक और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला है।
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दूसरा पक्ष इसे एक नफरत फैलाने वाले भाषण का मामला मानते हुए पुलिस की कार्रवाई को उचित ठहरा रहा है।
राजनीतिक रूप से भी यह मामला गर्मा गया है। कुछ विपक्षी नेताओं ने गिरफ्तारी को “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” कहा है, जबकि कुछ अन्य लोगों ने कहा कि कानून सभी पर समान रूप से लागू होना चाहिए।
शर्मिष्ठा की कानूनी स्थिति
रिपोर्ट्स के अनुसार, कोलकाता पुलिस ने उन्हें दंगे भड़काने, धार्मिक भावनाएं आहत करने, और सार्वजनिक अशांति फैलाने जैसे धाराओं में गिरफ्तार किया है। उनके वकीलों ने ज़मानत की अर्जी दी है और केस अभी शुरुआती कानूनी प्रक्रिया में है।
अभिव्यक्ति बनाम मर्यादा की बहस
इस घटना ने एक बार फिर इस जटिल सवाल को खड़ा कर दिया है कि सोशल मीडिया पर ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ की सीमा क्या होनी चाहिए?
क्या सार्वजनिक रूप से माफी के बाद गिरफ्तारी एक तरह का उत्पीड़न है?
या फिर सोशल मीडिया पर अनुशासन बनाए रखने के लिए सख्त कार्रवाई जरूरी है?
निष्कर्ष
कंगना रनौत की प्रतिक्रिया ने शर्मिष्ठा पनोली के मामले को और अधिक सुर्खियों में ला दिया है। यह घटना न सिर्फ एक व्यक्तिगत विवाद बनकर रह गई है, बल्कि भारतीय डिजिटल समाज में कानून, मर्यादा और स्वतंत्रता के संतुलन की पड़ताल का विषय बन चुकी है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस मामले में क्या फैसला देती है और देशभर में इस पर किस प्रकार की सामाजिक-राजनीतिक प्रतिक्रिया आती है।