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खाद्य विषाक्तता से बचाव: भारतीय रसोई के लिए 5 अनिवार्य सुरक्षा उपाय

1. हाथों की स्वच्छता: संक्रमण से पहली रक्षा

खाद्य विषाक्तता का एक प्रमुख कारण है अस्वच्छ हाथों से भोजन तैयार करना। खाना बनाने से पहले और बाद में साबुन और गर्म पानी से हाथ धोना अनिवार्य है। यदि पानी उपलब्ध नहीं है, तो हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करें। यह आदत विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों के लिए महत्वपूर्ण है, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है।

2. कच्चे और पके भोजन का पृथक्करण

कच्चे मांस, मछली और अंडों को पके भोजन से अलग रखना चाहिए। इसके लिए अलग-अलग कटिंग बोर्ड और बर्तन का उपयोग करें। कच्चे मांस को पकाने के बाद उसी बर्तन में वापस न रखें जिसमें वह पहले था, क्योंकि इससे बैक्टीरिया का संक्रमण हो सकता है।

3. उचित तापमान पर भोजन पकाना

भोजन को सही तापमान पर पकाना आवश्यक है ताकि हानिकारक बैक्टीरिया नष्ट हो सकें। उदाहरण के लिए, चिकन को कम से कम 165°F (74°C) पर पकाना चाहिए। थर्मामीटर का उपयोग करके भोजन का आंतरिक तापमान जांचें।UNM Health Sciences Center

4. भोजन का सही तरीके से भंडारण

पका हुआ भोजन दो घंटे के भीतर फ्रिज में रखें। गर्मी के मौसम में यह समय एक घंटे तक सीमित हो सकता है। भोजन को छोटे कंटेनरों में रखें ताकि वह जल्दी ठंडा हो सके। फ्रिज का तापमान 40°F (4°C) या उससे कम और फ्रीजर का तापमान 0°F (-18°C) या उससे कम होना चाहिए।

5. सतहों और बर्तनों की स्वच्छता

भोजन तैयार करने के बाद सभी सतहों, कटिंग बोर्ड और बर्तनों को गर्म पानी और साबुन से धोएं। कच्चे मांस के संपर्क में आए बर्तनों को विशेष ध्यान से साफ करें। साफ-सफाई से न केवल बैक्टीरिया का संक्रमण रोका जा सकता है, बल्कि भोजन की गुणवत्ता भी बनी रहती है।


निष्कर्ष

खाद्य विषाक्तता से बचाव के लिए स्वच्छता, उचित तापमान, और सही भंडारण अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन सरल लेकिन प्रभावी उपायों को अपनाकर आप और आपका परिवार सुरक्षित रह सकते हैं। स्वस्थ जीवनशैली की शुरुआत रसोई से होती है—आइए, इसे सुरक्षित और स्वच्छ बनाएं।

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