🌧️ मानसून: भारत की हरित ऊर्जा क्रांति का नया आधार

भारत में मानसून का महत्व केवल कृषि तक सीमित नहीं है; यह अब हरित ऊर्जा उत्पादन का एक महत्वपूर्ण स्रोत बनता जा रहा है। मानसून के दौरान तेज़ हवाएं और भरपूर जल प्रवाह, पवन और जल विद्युत उत्पादन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान करते हैं।


🌬️ पवन ऊर्जा में मानसून की भूमिका

भारत में पवन ऊर्जा उत्पादन का लगभग 70% हिस्सा मई से सितंबर के बीच, यानी मानसून के दौरान होता है। इस अवधि में तेज़ हवाएं पवन टरबाइनों को अधिकतम क्षमता पर चलाने में मदद करती हैं, जिससे ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि होती है। Wikipedia


💧 जल विद्युत उत्पादन में मानसून का योगदान

मानसून के दौरान नदियों में जल प्रवाह बढ़ जाता है, जिससे जल विद्युत संयंत्रों की क्षमता में वृद्धि होती है। हालांकि, सर्दियों में जल प्रवाह कम होने के कारण उत्पादन में गिरावट आती है, लेकिन मानसून के महीनों में यह कमी पूरी हो जाती है।


🔋 ऊर्जा भंडारण और भविष्य की रणनीतियाँ

मानसून के दौरान उत्पन्न अतिरिक्त ऊर्जा को संग्रहित करने के लिए बैटरी स्टोरेज और पंप्ड हाइड्रो स्टोरेज जैसी तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। इससे गैर-मानसून अवधि में भी स्थिर ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है।


🌱 निष्कर्ष

मानसून भारत की हरित ऊर्जा क्रांति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके प्रभावी उपयोग से भारत अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में तेजी से अग्रसर हो सकता है।


स्रोत: Ground News

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