🏛️ न्यायपालिका की गरिमा और संविधान की सर्वोच्चता: न्यायमूर्ति बी. आर. गवई का दृष्टिकोण

भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे न्यायमूर्ति बी. आर. गवई ने हाल ही में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि यदि कोई न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुँचाता है, तो कोई समझौता नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि संविधान सर्वोच्च है और सभी राज्य अंगों को इसके दायरे में कार्य करना चाहिए। Business Standard+2The Indian Express+2Lawstreet.co+2


⚖️ न्यायिक पारदर्शिता और जवाबदेही

न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही आवश्यक है। उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय के 33 में से 21 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक की है और शेष भी जल्द ही ऐसा करेंगे। The Economic Times


👩‍⚖️ न्यायपालिका में विविधता और प्रतिनिधित्व

न्यायमूर्ति गवई ने न्यायपालिका में महिलाओं, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य वंचित वर्गों के प्रतिनिधित्व की आवश्यकता पर बल दिया। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि संवैधानिक पदों पर नियुक्तियों में आरक्षण नहीं हो सकता। The Economic Times


🔚 निष्कर्ष

न्यायमूर्ति बी. आर. गवई का दृष्टिकोण न्यायपालिका की गरिमा, संविधान की सर्वोच्चता और न्यायिक पारदर्शिता को बनाए रखने पर केंद्रित है। उनकी यह सोच भारतीय न्यायपालिका को और अधिक मजबूत और विश्वसनीय बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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