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📰 ओडिशा में तटीय और रणनीतिक सुरक्षा कड़ी की गई — बढ़ते तनाव के बीच हाई अलर्ट

📰 ओडिशा में तटीय और रणनीतिक सुरक्षा कड़ी की गई — बढ़ते तनाव के बीच हाई अलर्ट

🔍 ओडिशा क्यों आया सुरक्षा के फोकस में?

पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव और भारत के सीमावर्ती राज्यों में हाई अलर्ट के बीच, ओडिशा ने भी अपनी तटीय और रक्षा व्यवस्थाओं को लेकर सख्ती बढ़ा दी है। राज्य की भौगोलिक स्थिति—विशेषकर इसका लम्बा समुद्र तट—उसे संवेदनशील बनाता है, जिस पर राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की भी नजर है।


🛡️ उठाए गए प्रमुख सुरक्षा उपाय

  1. तटीय निगरानी बढ़ाई गई: राज्य की समुद्री सीमा पर रडार निगरानी और ड्रोन पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है। भारतीय नौसेना व तटरक्षक बल से भी समन्वय किया गया है।

  2. रणनीतिक स्थलों पर विशेष निगरानी: परमाणु और रक्षा से जुड़े संस्थानों जैसे DRDO, चांदीपुर टेस्ट रेंज और कलिंग इंस्टीट्यूट्स के आसपास सुरक्षा बढ़ाई गई है।

  3. स्थानीय समुदाय की भागीदारी: मछुआरों और तटीय गांवों में जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत दें।

  4. रिस्पांस टीम्स की तैनाती: समुद्री आपदा या हमले की स्थिति में तेज़ प्रतिक्रिया देने के लिए QRT (Quick Response Teams) को अलर्ट पर रखा गया है।


📌 रणनीतिक दृष्टिकोण से ओडिशा का महत्व

ओडिशा न केवल एक तटीय राज्य है, बल्कि इसमें कई रक्षा अनुसंधान और मिसाइल परीक्षण केंद्र भी स्थित हैं। DRDO की गतिविधियाँ और बालासोर स्थित टेस्ट रेंज इसे राष्ट्रीय रणनीतिक नक्शे पर खास बनाते हैं। ऐसे में इस क्षेत्र की सुरक्षा में किसी भी प्रकार की ढील भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।


🌐 निष्कर्ष

ओडिशा सरकार की यह पहल न सिर्फ राज्य के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि भारत की तटीय और समुद्री रणनीतिकता में भी अहम भूमिका निभाती है। देश के सामने जिस तरह के सुरक्षा खतरे हैं, उसमें ओडिशा की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण बन गई है।

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