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फरवरी 2025 में नीति दर में कटौती के बावजूद मार्च में प्राइवेट बैंकों ने लोन दरें बढ़ाईं: कारण और प्रभाव

 

फरवरी 2025 में नीति दर में कटौती के बावजूद मार्च में प्राइवेट बैंकों ने लोन दरें बढ़ाईं: कारण और प्रभाव


परिचय

मार्च 2025 में, भारतीय निजी बैंकों ने नई रुपया ऋणों पर ब्याज दरों में वृद्धि की, जबकि फरवरी में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पांच वर्षों में पहली बार रेपो दर में 0.25% की कटौती की थी। यह कदम नीति दर में कटौती के बाद अपेक्षित था कि बैंक ऋण दरों में कमी करेंगे, लेकिन इसके विपरीत हुआ।


प्रमुख बिंदु

  • ऋण दरों में वृद्धि: RBI के आंकड़ों के अनुसार, मार्च में निजी बैंकों द्वारा नई रुपया ऋणों पर औसत ब्याज दर फरवरी की तुलना में 12 बेसिस पॉइंट बढ़कर 10.32% हो गई। The Economic Times

  • तरलता की कमी: मार्च में प्रणालीगत तरलता की दैनिक औसत कमी ₹1.23 लाख करोड़ रही, जिससे बैंकों के लिए सस्ती फंडिंग कठिन हो गई। The Economic Times+1The Economic Times+1

  • फंडिंग लागत में वृद्धि: निजी बैंकों ने उच्च दरों पर सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (CD) और बल्क डिपॉजिट जारी किए, जिससे उनकी फंडिंग लागत बढ़ गई।

  • डिपॉजिट दरों में वृद्धि: मार्च में नई रुपया डिपॉजिट पर वेटेड एवरेज डोमेस्टिक टर्म डिपॉजिट रेट (WADTDR) 6.49% से बढ़कर 6.65% हो गई।The Economic Times


सार्वजनिक और विदेशी बैंकों की स्थिति

  • विदेशी बैंक: विदेशी बैंकों ने मार्च में अपनी औसत ऋण दरों में 24 बेसिस पॉइंट की कटौती की, जिससे यह 8.93% हो गई।

  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक: सार्वजनिक बैंकों की औसत ऋण दरें मार्च में 8.66% रहीं, जो फरवरी की तुलना में 2 बेसिस पॉइंट अधिक थीं।


विशेषज्ञों की राय

HDFC बैंक के CFO श्रीनिवासन वैद्यनाथन ने कहा, “ऋण स्प्रेड्स बॉन्ड स्प्रेड्स की तुलना में संकुचित रहे हैं। हम गुणवत्ता और मूल्य निर्धारण मानकों को ध्यान में रखते हुए ऋण प्रदान करते हैं।” The Economic Times


निष्कर्ष

फरवरी 2025 में RBI द्वारा नीति दर में कटौती के बावजूद, मार्च में निजी बैंकों ने विभिन्न कारणों से ऋण दरों में वृद्धि की। यह दर्शाता है कि नीति दरों में बदलाव का प्रभाव तत्काल नहीं होता और बैंकों की फंडिंग लागत, तरलता की स्थिति और अन्य कारकों पर निर्भर करता है।

FAQs:

प्रश्न 1: मार्च 2025 में निजी बैंकों ने ऋण दरें क्यों बढ़ाईं?
उत्तर: तरलता की कमी और फंडिंग लागत में वृद्धि के कारण निजी बैंकों ने ऋण दरें बढ़ाईं।

प्रश्न 2: क्या सभी बैंकों ने ऋण दरें बढ़ाईं?
उत्तर: नहीं, विदेशी बैंकों ने ऋण दरों में कटौती की, जबकि सार्वजनिक बैंकों में मामूली वृद्धि हुई।

प्रश्न 3: RBI की नीति दर कटौती का प्रभाव कब तक दिखेगा?
उत्तर: नीति दर कटौती का प्रभाव बैंकों की फंडिंग लागत, तरलता और अन्य कारकों पर निर्भर करता है; इसका प्रभाव समय के साथ दिखेगा।

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