“इंजेक्शन लगवाना” सुनते ही बच्चों से लेकर बड़ों तक की पेशानी पर शिकन आ जाती है। सुई का डर, दर्द और फोबिया – ये सब आम समस्याएं हैं। लेकिन अब इस डर को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा इनोवेशन हुआ है। पुणे की एक हेल्थटेक स्टार्टअप कंपनी ने बिना सुई और बिना दर्द के इंजेक्शन देने वाली तकनीक तैयार की है, जो मेडिकल क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।
💡 स्टार्टअप का नाम और इनोवेशन:
पुणे स्थित इस स्टार्टअप का नाम Instashots है, जिसने एक ऐसा डिवाइस विकसित किया है जो जेट प्रेशर टेक्नोलॉजी की मदद से दवा को त्वचा में पहुंचाता है — वो भी बिना किसी सुई के।
यह तकनीक:
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पूरी तरह से सुई-मुक्त है
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दर्द रहित होती है
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बच्चों, बुजुर्गों और फोबिया से ग्रस्त रोगियों के लिए आदर्श है
🔍 कैसे काम करता है यह डिवाइस?
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यह डिवाइस बहुत पतली दवा की धार (liquid stream) को उच्च दबाव से त्वचा में प्रवेश कराता है
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त्वचा में कोई कट या छेद नहीं होता
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दवा तुरंत अवशोषित हो जाती है
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सिंगल यूज़ नोज़ल से संक्रमण का जोखिम न के बराबर
🧪 कहां हो रहा है इसका उपयोग?
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ट्रायल स्तर पर इसे टीकाकरण, डायबिटीज (इंसुलिन डिलीवरी), और विटामिन B12 जैसे इंजेक्शन के लिए उपयोग किया जा रहा है
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इसे रूरल हेल्थकेयर और मास टीकाकरण अभियान में इस्तेमाल करने की योजना है
👩⚕️ डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स की राय:
डॉक्टर्स का मानना है कि यह तकनीक न सिर्फ फोबिया को कम करेगी बल्कि मेडिकल स्टाफ का समय भी बचेगा। खासकर बच्चों और बुजुर्गों में इंजेक्शन देने में आसानी होगी।
“सुई के डर से लोग कई बार जरूरी टीकाकरण से भी बचते हैं। यह डिवाइस उस मानसिक रुकावट को तोड़ सकता है।” – एक बाल रोग विशेषज्ञ
💰 फंडिंग और योजना:
Instashots ने शुरुआती चरण में एंजेल इन्वेस्टर्स से फंडिंग प्राप्त की है और वह जल्द ही बड़े स्तर पर प्रोडक्शन शुरू करने की तैयारी में है। कंपनी का लक्ष्य है कि आने वाले 2 वर्षों में यह डिवाइस देशभर के प्राइमरी हेल्थ सेंटरों तक पहुंचे।
🌍 वैश्विक संभावना:
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WHO और UNICEF जैसे संगठन सुई-रहित टीकाकरण तकनीकों को बढ़ावा दे रहे हैं
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यह तकनीक ग्लोबल हेल्थकेयर मार्केट में भारत को एक इनोवेशन लीडर बना सकती है
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खासकर अफ्रीका और दक्षिण एशिया में इसका बड़ा स्कोप है
🔚 निष्कर्ष:
सुई-रहित इंजेक्शन तकनीक न सिर्फ एक टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन है, बल्कि यह लोगों की सोच, डर और हेल्थकेयर एक्सेस को भी नया आयाम दे रही है। पुणे की Instashots जैसी कंपनियां यह साबित कर रही हैं कि भारतीय स्टार्टअप्स अब सिर्फ ऐप या ई-कॉमर्स तक सीमित नहीं, बल्कि गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान भी खोज रहे हैं। आने वाले समय में जब बच्चा बिना रोए इंजेक्शन लगवाएगा, तो इसके पीछे इस इनोवेशन का ही हाथ होगा।