भारत की ऑटो इंडस्ट्री पर रेयर अर्थ मैग्नेट संकट का साया: चीन से आयात में रुकावट से उत्पादन पर खतरा

भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री इन दिनों एक गंभीर संकट का सामना कर रही है। चीन द्वारा रेयर अर्थ मैग्नेट के निर्यात पर लगाए गए नए प्रतिबंधों के कारण भारतीय वाहन निर्माताओं को आवश्यक मैग्नेट की आपूर्ति में बाधा आ रही है, जिससे उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

रेयर अर्थ मैग्नेट का महत्व

रेयर अर्थ मैग्नेट, जैसे कि नियोडियम और डाइसप्रोसियम, इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), पावर विंडोज, ऑडियो सिस्टम और अन्य ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत अपनी आवश्यकताओं का अधिकांश हिस्सा चीन से आयात करता है।

चीन के निर्यात प्रतिबंध और भारतीय प्रतिक्रिया

चीन ने अप्रैल 2025 में रेयर अर्थ मैग्नेट के निर्यात पर नए प्रतिबंध लागू किए, जिससे भारतीय कंपनियों की आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई है। इस स्थिति से निपटने के लिए, भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग के प्रतिनिधि एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ चीन जा रहे हैं, ताकि आवश्यक क्लीयरेंस प्राप्त कर आपूर्ति बहाल की जा सके। The Economic Times

बजाज ऑटो की चेतावनी

बजाज ऑटो ने चेतावनी दी है कि यदि रेयर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति शीघ्र बहाल नहीं हुई, तो जुलाई 2025 से उनके इलेक्ट्रिक स्कूटरों का उत्पादन बाधित हो सकता है। कंपनी ने बताया कि उनके पास उपलब्ध स्टॉक सीमित है और कोई स्पष्ट समाधान नहीं दिख रहा है। The Economic Times

सरकार की भूमिका

भारतीय वाणिज्य और विदेश मंत्रालय चीन के अधिकारियों के साथ समन्वय कर रहे हैं, ताकि रेयर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति शीघ्र बहाल की जा सके। इसके अलावा, भारत ने चीन को आश्वासन दिया है कि ये मैग्नेट रक्षा उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं किए जाएंगे और अमेरिका को पुनः निर्यात नहीं किए जाएंगे। The Economic Times

वैकल्पिक उपाय और दीर्घकालिक समाधान

  • विविधीकरण: भारत को अन्य देशों से रेयर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए वैकल्पिक स्रोतों की तलाश करनी चाहिए।

  • स्थानीय उत्पादन: देश में रेयर अर्थ मैग्नेट के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए निवेश और अनुसंधान को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।

  • रीसाइक्लिंग: उपयोग किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से रेयर अर्थ मैग्नेट की पुनर्प्राप्ति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

निष्कर्ष

चीन के निर्यात प्रतिबंधों ने भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को एक गंभीर संकट में डाल दिया है। इससे निपटने के लिए त्वरित और दीर्घकालिक उपायों की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी आपूर्ति श्रृंखला बाधाओं से बचा जा सके और देश की ऑटो इंडस्ट्री को स्थिरता प्रदान की जा सके।

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