पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता और सिनेमैटोग्राफर शजी एन। करुण 70 के दशक में मलयालम सिनेमा के माध्यम से बहने वाली नई लहर के एक झंडे थे। फ़ाइल।

शाजी एन. करुण: केरल के मुख्यमंत्री ने उन्हें विश्व सिनेमा का प्रतीक बताया

केरल के मुख्यमंत्री ने हाल ही में प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक शाजी एन. करुण को “विश्व सिनेमा का प्रतीक” करार दिया है। यह सम्मान उनके दशकों से भारतीय और अंतरराष्ट्रीय सिनेमा में दिए गए योगदान को मान्यता देता है।

शाजी एन. करुण का जीवन और करियर

शाजी एन. करुण का जन्म 1 जनवरी 1952 को केरल के कोल्लम जिले में हुआ था। उन्होंने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से सिनेमैटोग्राफी में डिप्लोमा प्राप्त किया। उनकी पहली निर्देशित फिल्म ‘पिरावी’ (1988) ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना प्राप्त की और उन्हें कैनस फिल्म फेस्टिवल में विशेष उल्लेख मिला।en.wikipedia.org

अंतरराष्ट्रीय मान्यता

शाजी एन. करुण की फिल्में ‘स्वाहम’ (1994) और ‘वनप्रस्थम’ (1999) को भी कैनस फिल्म फेस्टिवल में प्रस्तुत किया गया। ‘स्वाहम’ को पाल्मे डी’ओर के लिए नामांकित किया गया था, जो किसी भी भारतीय निर्देशक के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

पुरस्कार और सम्मान

उनके योगदान के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं, जिनमें पद्म श्री (2011), ऑर्ड्रे देस आर्ट्स एट देस लेटर्स (1999) और जे. सी. डेनियल पुरस्कार (2023) शामिल हैं।

निष्कर्ष

शाजी एन. करुण का सिनेमा में योगदान न केवल केरल या भारत तक सीमित है, बल्कि उन्होंने विश्व सिनेमा में भी अपनी पहचान बनाई है। केरल के मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें “विश्व सिनेमा का प्रतीक” कहना उनके इस योगदान की पुष्टि करता है।

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