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ट्रंप और शी जिनपिंग के बीच जल्द हो सकती है बातचीत, खनिज व्यापार विवाद सुलझाने की उम्मीद

ट्रंप और शी जिनपिंग के बीच जल्द हो सकती है बातचीत, खनिज व्यापार विवाद सुलझाने की उम्मीद

वॉशिंगटन/बीजिंग: अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव के बीच एक बार फिर कूटनीतिक बातचीत की संभावनाएं तेज़ हो गई हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच महत्वपूर्ण खनिजों (critical minerals) के निर्यात विवाद को लेकर जल्द बातचीत होने की संभावना जताई जा रही है।

यह वार्ता ऐसे समय में हो सकती है जब वैश्विक स्तर पर आपूर्ति श्रृंखला पहले से ही दबाव में है, और चीन द्वारा कुछ महत्वपूर्ण खनिजों के निर्यात पर लगे प्रतिबंधों ने अमेरिका, भारत, यूरोप और अन्य देशों की औद्योगिक गतिविधियों पर असर डालना शुरू कर दिया है।


🧭 क्या है विवाद का मूल कारण?

सूत्रों के मुताबिक, चीन ने हाल के सप्ताहों में कुछ प्रमुख दुर्लभ खनिजों और औद्योगिक कच्चे माल के निर्यात को सीमित कर दिया है। यह वही खनिज हैं जो सेमीकंडक्टर्स, इलेक्ट्रिक वाहनों, बैटरीज़ और रक्षा उपकरणों के निर्माण में अत्यंत आवश्यक माने जाते हैं।

अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने बयान देते हुए कहा कि:

“यह भरोसेमंद साझेदारी का उदाहरण नहीं है। जब आप वैश्विक व्यापार व्यवस्था का हिस्सा होते हैं, तो इस तरह के अचानक निर्यात प्रतिबंध केवल अविश्वास और अस्थिरता पैदा करते हैं।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह रोक या तो किसी “सिस्टम फेल्योर” की वजह से है या चीन द्वारा “रणनीतिक रूप से” लागू की गई है।


🗣️ ट्रंप-शी वार्ता: जल्द हो सकती है पुष्टि

व्हाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि इस सप्ताह के अंत तक ट्रंप और शी जिनपिंग के बीच फोन पर या वर्चुअल बैठक के ज़रिए चर्चा संभव है। हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि या तारीख तय नहीं हुई है।

व्हाइट हाउस के मुख्य आर्थिक सलाहकार केविन हैसेट ने कहा कि:

“यह वार्ता केवल खनिजों पर नहीं बल्कि व्यापक व्यापार नीति, टैरिफ और उत्पादन संतुलन जैसे मुद्दों को भी कवर कर सकती है।”


🌍 वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर खतरा

इस विवाद का असर केवल अमेरिका और चीन तक सीमित नहीं है। भारत, यूरोपीय संघ और जापान जैसे देशों की कंपनियां भी चीन पर इन खनिजों की आपूर्ति के लिए निर्भर हैं। यदि यह विवाद जल्द नहीं सुलझता, तो:

विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की यह रणनीति केवल व्यापारिक दबाव बनाने के लिए नहीं बल्कि भू-राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाने का प्रयास भी हो सकती है।


✍️ क्या है भारत की स्थिति?

भारत को भी इस मुद्दे पर सतर्कता बरतनी होगी, क्योंकि उसकी ईवी और सेमीकंडक्टर योजनाएं चीन की सप्लाई पर निर्भर हैं। यदि अमेरिका-चीन समझौता नहीं होता है, तो भारत को वैकल्पिक आपूर्ति श्रोत तलाशने की जरूरत होगी — जैसे कि ऑस्ट्रेलिया या अफ्रीकी देश।


📌 निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग के बीच संभावित बातचीत वैश्विक व्यापार स्थिरता और महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति सुरक्षा के लिहाज़ से बेहद अहम मानी जा रही है। यदि यह वार्ता सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ती है, तो इससे न केवल अमेरिका और चीन के रिश्ते बेहतर हो सकते हैं, बल्कि वैश्विक आर्थिक माहौल में भी स्थिरता आएगी।

आगामी हफ्तों में इस मुद्दे पर दुनिया भर की नजरें टिकी रहेंगी।

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