गर्भावस्था एक महिला के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान यदि शरीर में कोई पुरानी या नई बीमारी उभरती है, तो वह न केवल माँ बल्कि बच्चे के लिए भी ख़तरनाक हो सकती है।
डायबिटीज़ (मधुमेह) और हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) दो ऐसी स्थितियां हैं जो गर्भावस्था में कई तरह की जटिलताएं पैदा कर सकती हैं।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि इन दो बीमारियों से गर्भवती महिला और भ्रूण को कौन-कौन से खतरे हो सकते हैं और उनसे कैसे बचाव किया जा सकता है।
⚠️ डायबिटीज़ और हाई बीपी से गर्भावस्था में होने वाली प्रमुख जटिलताएं:
1. प्री-एक्लेम्पसिया (Pre-eclampsia):
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यह स्थिति उच्च रक्तचाप के कारण उत्पन्न होती है
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इसमें महिला को सिरदर्द, सूजन, धुंधला दिखना और पेशाब में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है
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अगर समय रहते न रोका जाए, तो जानलेवा हो सकता है
2. गर्भ में बच्चा बड़ा होना (Macrosomia):
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डायबिटीज़ के कारण भ्रूण में अतिरिक्त शर्करा जमा हो जाती है
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इससे बच्चा बहुत बड़ा हो जाता है, जिससे नार्मल डिलीवरी कठिन हो सकती है
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सीज़ेरियन की ज़रूरत पड़ सकती है
3. अचानक मिसकैरेज या स्टिलबर्थ का खतरा:
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अनियंत्रित ब्लड शुगर या बीपी भ्रूण के विकास में बाधा डाल सकता है
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इससे गर्भपात या बच्चा मृत पैदा होने का खतरा बढ़ता है
4. प्रारंभिक प्रसव (Preterm Delivery):
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हाई बीपी या डायबिटीज़ से गर्भवती महिला में संकुचन जल्दी शुरू हो सकते हैं
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इससे 37 सप्ताह से पहले डिलीवरी हो सकती है, जिससे नवजात में कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं
5. भ्रूण का असमान विकास:
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प्लेसेंटा को पर्याप्त ब्लड सप्लाई नहीं मिलती, जिससे भ्रूण का वजन कम रह सकता है
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बच्चे में जन्म के बाद सांस लेने की दिक्कत, सुस्ती और इन्फेक्शन का खतरा रहता है
6. माँ में किडनी या लिवर संबंधित समस्याएं:
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प्रेगनेंसी के दौरान बीपी और ब्लड शुगर अगर कंट्रोल में न हो, तो माँ की किडनी पर दबाव बढ़ता है
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इससे गंभीर अंग विफलता तक हो सकती है
7. गर्भकालीन डायबिटीज़ का आगे चलकर टाइप 2 डायबिटीज़ में बदलना:
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जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान शुगर से जूझती हैं, उनमें आगे चलकर टाइप 2 डायबिटीज़ होने की संभावना ज़्यादा रहती है
👩⚕️ क्या करें — सावधानियां और उपाय:
✅ गर्भधारण से पहले ब्लड शुगर और बीपी की जांच कराएं
✅ गर्भावस्था के दौरान नियमित जांच और सोनोग्राफी करवाएं
✅ डॉक्टर द्वारा दी गई दवाएं समय पर लें
✅ डायबिटीज़ के लिए संतुलित डाइट लें — मीठा, सफेद चावल, मैदा आदि से बचें
✅ बीपी नियंत्रित रखने के लिए कम नमक, तनाव मुक्त जीवनशैली और हल्का व्यायाम करें
✅ पर्याप्त नींद लें और तनाव से बचें
✅ भ्रूण की ग्रोथ पर विशेष नज़र रखें — समय-समय पर USG और डॉपलर स्कैन कराएं
🧘♀️ विशेषज्ञ की सलाह:
“अगर डायबिटीज़ और हाई बीपी को सही से मॉनिटर किया जाए, तो माँ और बच्चा दोनों स्वस्थ रह सकते हैं। ज़रूरत है तो सिर्फ जागरूकता और डॉक्टर की सलाह पर पूरा अमल करने की।”
– डॉ. सीमा वर्मा, प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ
🔚 निष्कर्ष:
गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर जैसी स्थितियां चिंता का विषय हो सकती हैं, लेकिन अगर समय रहते इन पर नियंत्रण पा लिया जाए, तो गंभीर जटिलताओं से बचा जा सकता है।
हर माँ का हक है — एक सुरक्षित, स्वस्थ और खुशहाल गर्भावस्था। इसके लिए सही जानकारी और सतर्कता बेहद ज़रूरी है।